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जब क्रांतिकारी मंगल पांडे की भूमिका में नज़र आये आमिर खान…
वर्ष 2005 में परदे पर आई आमिर खान अभिनीत फिल्म “मंगल पांडे: द राइजिंग” मंगल पांडे की जीवनी पर आधारित थी।

Published
6 years agoon
By
सुनील यादव
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वर्ष 1857 में पहली बार बग़ावत की मशाल जलाने वाले स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी मंगल पांडे का आज जन्मदिन है। अंग्रेजी हुकूमत से टकराने का साहस और अपने हक़ के लिए लड़ने की भावना मंगल पांडे ने ही हज़ारों देशवासियों में जगाई थी। 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में मंगल पांडे का जन्म हुआ था। वर्ष 1849 में उन्होंने बंगाल आर्मी ज्वॉइन की और वर्ष 1857 में उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहली चिंगारी सुलगाई थी, जो देखते ही देखते पूरे देशभर में आज़ादी की ज्वाला में बदल गई। मंगल पांडे के पराक्रम को बड़े परदे पर भी दिखाने की कोशिश की गई है। वर्ष 2005 में परदे पर आई फिल्म मंगल पांडे: द राइजिंग उन्ही पर आधारित थी। इस फिल्म में आमिर खान ने मंगल पांडे की भूमिका निभाई थी।
केतन मेहता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सभी की नज़रें मंगल पांडे की भूमिका निभा रहे अभिनेता आमिर खान पर टिकी थीं। फिल्म में आमिर खान ने शानदार अभिनय किया और मंगल पांडे के स्वरुप को परदे पर उतारने की पूरी कोशिश की। फिल्म प्रेरक थी। देशप्रेम से ओतप्रोत यह फिल्म दर्शकों के दिलों में घर कर गई। इस फिल्म में आमिर खान के अलावा रानी मुखर्जी, अमीषा पटेल और ओम पूरी भी मुख्य भूमिका में दिखाई दिए थे। इस फिल्म की बात की जाए, तो इसमें मंगल पांडे के जीवनी और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के जज़्बे को दिखाया गया है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ मंगल पांडे के विद्रोह को इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।
दरअसल इस विद्रोह की शुरुआत एक ब्रिटिश राइफल के चलते हुई। सेना में शामिल हुई एक नई राइफल के कारतूस में सूअर और गाय की चर्बी लगती थी, जिसमें ग्रीज लगी कार्टीज़ को सैनिकों को मुंह से छीलकर ऊपरी परत को हटाना पड़ता था। यही वजह थी कि सेना में मौजूद हिन्दू और मुस्लिमों सिपाहियों में आक्रोश फैलने लगा। जिसके बाद मंगल पांडे ने विरोध ज़ाहिर करते हुए दो अंग्रेजी सैनिकों पर हमला बोल दिया था। मंगल पांडे द्वारा लगाई गई यह चिंगारी देखते ही देखते ज्वाला बनकर देशभर में भड़कने लगी। ईस्ट इंडिया कंपनी और अंग्रेजों के खिलाफ लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ा दिया गया। लेकिन मंगल पांडे द्वारा जलाई गई देश क्रांति की मशाल को अंग्रेज बुझा न सकें, जो आगे चलकर अंग्रेजों के विध्वंश का कारण बनी।
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