Connect with us
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

ट्रेंडिंग

दीपिका चिखलिया बोलीं- दर्शकों ने देवी तो बना दिया, लेकिन न कोई पद्म सम्मान मिला, न ही कोई रॉयल्टी फीस इतनी कम मिलती थी कि बताने में शर्म आती है

दीपिका च‍िखल‍िया बोलीं- मोदी सरकार को लगता है क‍ि ‘रामायण’ ने संस्‍कृति में योगदान द‍िया है तो हमें पद्म सम्मान से सम्‍मानित करें

Published

on

कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में दूरदर्शन पर ‘रामायण’ सीरियल का प्रसारण किया गया। ‘रामायण’ को देश-दुनिया के दर्शकों का जबरदस्त प्यार मिला तो केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ‘रामायण’ के निर्माता रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर को पत्र लिखकर धन्यवाद दिया और कहा कि नई पीढ़ी के लिए रामायण वरदान साबित हुआ है।

‘रामायण’ की सीता यानी दीपिका चिखलिया ने कहा कि दर्शकों का प्यार तो उन्हें खूब मिला, इतना प्यार कि लोगों ने उन्हें असल जिंदगी में भी साक्षात देवी और माता सीता बना दिया, लेकिन उस समय की मौजूदा सरकार ( कांग्रेस ) ने उनके साथ बेरुखी दिखाई। न तो कभी कोई नैशनल अवॉर्ड मिला, न ही कोई पद्म सम्मान। ‘रामायण’ में काम करने का मेहनताना भी इतना मामूली था कि तब भी बताने में शर्म आती थी और आज भी शर्म आती है। अब आज मोदी सरकार से उम्मीद है कि अगर उन्हें लगता है कि ‘रामायण’ के कलाकारों ने आर्ट, कल्चर और लिट्रेचर में कोई योगदान दिया है तो वह पद्म सम्मानों से रामायण के कलाकारों को सम्मानित करें।

मेहनत की थी, इसलिए आज भी मिल रहा है दर्शकों का प्यार  दीपिका बताती हैं, ‘आज जब रामायण सीरियल को देश-दुनिया में बहुत प्यार मिल रहा है, आज 30 साल बाद भी रामायण ने कई मामलों में नए कीर्तिमान बना लिए हैं। लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन में शुरू हुआ रामायण, हर दिन सोशल मीडिया में ट्रेंड हुआ। आज पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में देखा जाने वाला शो रामायण बन गया है। आखिर रामायण को दर्शकों का इतना प्यार क्यों मिल रहा है। क्योंकि रामायण की पूरी टीम ने जी जान से मेहनत की थी।’

रामायण की फीस बताने में शर्म आती है मुझे ‘हर किसी ने अपने किरदार में डूबने के लिए उसे असल जिंदगी में जीना शुरू कर दिया था। दर्शक हम कलाकारों को भगवान् समझने लगे तो हम सभी कलाकारों ने पैसे के लिए कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे दर्शक इमोशनली हर्ट हों। आज मैं कहना चाहती हूं कि मुझे उस समय की मौजूदा सरकार से… न कोई नैशनल अवॉर्ड मिला, न कोई स्टेट अवॉर्ड मिला, न ही कोई पद्म सम्मान ही मिला और रही बात रामायण में काम करने के फीस की तो वह इतनी कम थी की मुझे तब भी लोगों को बताने में शर्म आती थी और आज भी शर्म आती है।’

मेरे हज्बंड को नहीं पता रामायण में मुझे कितनी फीस मिलती थी ‘मेरे हज्बंड को आज तक नहीं पता की मुझे रामायण में मुझे कितनी फीस मिलती थी, मैंने कभी खुद भी नहीं बताया, बताऊंगी तो लोग सोचेंगे, कोई किसी को इतना कम पैसा कैसे दे सकता है। हम रामायण में इसलिए काम कर रहे थे क्योंकि यह काम बहुत अच्छा था और बहुत बेहतरीन ढंग से किया जा रहा था। मैं कहना चाहती हूं रामायण को सिर्फ टीवी सीरियल की तरह न लें, रामायण की टीम ने लिट्रेचर, कल्चर, फिल्म इंडस्ट्री, आर्ट-कला और तमाम महत्वपूर्ण चीजों का जोड़ है।’

हमने रामायण की डिग्निटी को सालों से मेंटेन किया है  

‘आप रामायण को सिंगिंग के हिसाब से देखें, ऐक्टिंग के हिसाब से देखें या कल्चर के हिसाब से देखें तो रामायण की टीम का कंट्रीब्यूशन समाज और देश के लिए बहुत बड़ा योगदान है। हम लोगों ने रामायण के बाद कोई करियर में कोई दूसरा काम भी नहीं किया। हम चाहते तो कोई भी अनाप-शनाप काम करते, कपड़े कुछ भी पहनते, लेकिन हम सभी मुख्य किरदार निभाने वाले ऐक्टर्स ने रामायण की डिग्निटी को सालों से मेंटेन किया है।’

रामायण की एक अच्छी रॉयल्टी मिलनी चाहिए  

‘हमारे इस योगदान पर न तो कोई सम्मान मिला और न ही कोई रॉयल्टी ही मिली। यह बात ठीक नहीं है। मैं यह बात आज इसलिए कह रही हूं क्योंकि लोग आज हमारी बात सुन-समझ रहे हैं। यह समय भी ऐसा है, जब रामायण की बात होनी चाहिए। हम क्या सोचते हैं और क्या चाहते हैं, यह बात भी होनी चाहिए। हमें एक अच्छी रॉयल्टी मिलनी चाहिए, आप हॉलिवुड में देखिए, वहां कलाकारों को रॉयल्टी मिलने का बड़ा अच्छा और पारदर्शी कानून है।’

कल्चर और प्रोत्साहन से समाज आगे बढ़ता है ‘किसी को आर्थिक रूप से और अवॉर्ड देकर इसलिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि समाज में लोग ऐसा काम बार-बार करें। प्रोत्साहन न मिलने से और लोग ऐसा काम करने के लिए आगे नहीं आएंगे या कम आएंगे। मैंने फिल्मों में भी जो काम किया वह सफल हुई है, लेकिन फिल्मों के लिए भी कोई नैशनल अवॉर्ड कभी नहीं मिला। मेरी फिल्में सुपर-डूपर हिट रही हैं।’

3 फिल्मों के लिए मिल सकता था मुझे नैशनल अवॉर्ड ‘मुझे लगता है मुझे फिल्म खुदाई के लिए नैशनल अवॉर्ड मिलना चाहिए था, इस फिल्म में मैं राजेश खन्ना के अपोजिट थी। मैंने कन्नडा में 2 फिल्में की थीं, होसा जीवन और इंद्रजीत, इन दोनों फिल्मों में मुझे डेफिनैटली मिल सकता था नैशनल अवॉर्ड। कई प्राइवेट छोटे-छोटे अवॉर्ड में मुझे नॉमिनेशन मिला, लेकिन मैं जा नहीं पाई तो मुझे अवॉर्ड नहीं मिला, जब मैंने अवॉर्ड देने वाली संस्था से पूछा कि अवॉर्ड कहां है, तो उनका जवाब था कि आप नहीं आई, इसलिए अवॉर्ड वहां मौजूद कलाकार को दिया गया। अब आप ही बताइए क्या यह तरीका है अवॉर्ड देने का, अगर सम्मान देना है तो देना है।’

मोदी सरकार से पद्म सम्मान की उम्मीद ‘हम आपके साथ यह बातचीत कर अवॉर्ड मांग नहीं रहे हैं, लेकिन पॉइंट आउट जरूर कर रहे हैं। अब मोदी सरकार ने जिस तरह रामायण सीरियल को एक बार फिर से दुनिया के सामने लाने का काम किया है, दुनिया ने प्यार भी दिया है। अब आगे मोदीजी को लगे की रामायण की टीम ने कल्चर और लिट्रेचर में कुछ काम किया है तो वह हमें पद्म सम्मानों से सम्मानित करने के बारे में सोचें।’

Continue Reading
Click to comment
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
>