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गायकी के जादूगर मोहम्मद रफ़ी साहब
70 के दशक के मशहूर गायक मोहम्मद रफ़ी जी के गीतों की कुछ पंक्तियाँ

Published
4 years agoon
By
शैलेश कुमार
मोहम्मद रफ़ी जिन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से जानती है, उनका जन्म 24 दिसम्बर 1924 में हुआ था। मोहम्मद रफ़ी हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठतम गायकों में से एक रहे हैं। रफ़ी साहब अपने आवाज़ के जादू से फिल्मों के समकालीन गायकों में अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे। मोहम्मद रफ़ी को शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता है। मोहम्मद रफ़ी नए गायकों के एक प्रेरणा श्रोत भी रहे हैं। 31 जुलाई 1980 को उनका निधन हुआ। उनके निधन के बाद जब टेलीविज़न पर उनकों श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम चल रहा था, तब संगीतकार नौशाद से पूछा गया था कि आप मोहम्मद रफ़ी जी के बारे में क्या कहना चाहेंगें, तब उन्होंने कहा था “मेरे सुरों के सागर में एक सुर खो गया।” 1940 के दशक से आरंभ कर 1980 तक इन्होने कुल 26,000 गाने गाए। रफ़ी साहब एक ऐसे फनकार थे। उनके कुछ गाने फिल्मों के मुहूर्त से पहले रिकॉर्ड कर लिए गये थे और किसी कारणवश वह फ़िल्में नहीं बनी। ऐसे गानों की संख्या 8 हज़ार के करीब मानी जाती है और यह अनमोल खज़ाना ऑल इंडिया रेडियो के किसी पुरातत्व संगीत संग्रहालय के ज़खीरे में पाया जा सकता है।
आज हम आप को रफ़ी साहब के कुछ सुनहरे गानों की याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
गीत के बोल :
1. फिल्म – लोफ़र
ओ आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
हो आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
आने वाला कोई तूफ़ान है
कोई तूफ़ान है, आज मौसम
हो आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
क्या हुआ है, हुआ कुछ नहीं है
क्या हुआ है, हुआ कुछ नहीं है
बात क्या है पता कुछ नहीं है
मुझसे कोई ख़ता हो गई तो
इसमें मेरी ख़ता कुछ नहीं है
ख़ूबसूरत है तू ,रुत जवान है
आज मौसम…
हो आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
2. फिल्म – जीवन मृत्य
जो भी हो खुदा की कसम, लाजबाब हो
जुल्फें हैं जैसे कंधे पे बादल झुके हुए
आँखें हैं जैसे माय के प्याले भर हुए
मस्ती है जिसमे प्यार की तुम, वो शराब हो
चौदहवीं का चंद हो, या आफ़ताब हो
जो भी हो खुदा कि कसम, लाजबाब हो
3. फिल्म- जीने की राह
आने से उसके आए बहार
जाने से उसके जाए बहार
बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा
मेरे जिंदगानी है मेरी महबूबा
4. फिल्म -नील कमल
बाबुल की दुआएँ लेती जा
बाबुल की दुआएँ लेती जा
मैके की कभी न याद आए
ससुराल में इतना प्यार मिले
बाबुल की दुआएँ लेती जा
बचपन में झुलाया है तुझको
बाँहों ने मेरी झुलों की तरह
मेरे बाग़ की ऐ नाज़ुक डाली
तुझे हरपल नई बहार मिले
मैके की कभी न याद आए
ससुराल में इतना प्यार मिले