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देश में मॉब लिंचिंग का कैसा दर्द , अनुराग कश्यप जैसे कई फिल्मीं दिग्गज ने सरकार पर उठाए सवाल

क्या आज मॉब लिंचिंग देश की सबसे बड़ी और जटिल समस्या ?

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ऐसा माना जा रहा है कि देश में आज मॉब लिंचिंग की घटनाएं काफी बढ़ती नज़र आ रही हैं। इन बढ़ रही घटनाओं के विरोध में हिंदी सिनेमा के एक ब्रिगेड को देखा गया है, जिसने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिख इस पर कड़ी से कड़ी सज़ा के प्रावधान के लिए गुहार भी लगाई है। इन बड़े और नमीं-गिरामी लोगों का यह मानना है, कि देश के जय श्री राम के नाम पर असनहसीलता का माहौल फैलता जा रहा है, जो देश हित के लिए काफी नाशूर बनता जा रहा है।

यह तो सत्य है, कि देश में ऐसे मामले रुकने का नाम तक नहीं ले रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से लेकर 2018 तक देश में धर्म के नाम पर लगभग 254 आपराधिक घटनाएं हुई हैं, जबकि वर्ष 2016 में लगभग 840 आपराधिक घटनाएं दलित वर्ग के साथ हुआ है। ऐसे ही आंकड़ें सेलीब्रिटियों ने पीएम मोदी को एक चिट्ठी के ज़रिये पेश किया है।

क्या हैं मुद्दा :

देश में लगातार बाद रहे जातीय और धार्मिक अपराध को लेकर फिल्मीं सितारों समेत लगभग 50 से अधिक लोगोंम ने इस चिट्ठी पर अपने हस्ताक्षर दिए हैं। पीएम को लिखे गए इस चिट्ठी में कहा गया है “कि केवल संसद में मॉब मॉब लिंचिंग की निंदा करने से कुछ नहीं होगा, इनके खिलाफ क्या एक्शन लिया जा रहा है, ये बताएं ? आगे लिखा गया है कि हमें लगता है कि ऐसे किसी अपराधी की बेल नहीं होनी चाहिए, और ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलें और इस तरह की ऐसी हत्या करने वालों पर बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा मिले। “ इस कतार में 40 से अधिक फिल्मीं हस्तिया भी शामिल देखी जा रही हैं, जिसमें फिल्म मेकर, अभिनेता, समाज सेवी जैसे लोग शामिल हैं। श्याम बिनेगल, अनुराग कश्यप, बिनायक सेन, सौमित्र चटर्जी, कोकड़ा सेन शर्मा, अनुपमा रॉय जैसे जिग्गज इस कतार में शामिल दिख रहे हैं।

क्या है मॉब लिंचिंग  :

बिना किसी व्यवस्थित न्याय प्रक्रिया के, किसी अनौपचारिक अप्रशासनिक समूह द्वारा की गई हत्या या शारीरिक प्रताड़ना को मॉब लिंचिंग कहा जाता है। कथित शब्द का उपयोग अक्सर एक बड़ी भीड़ द्वारा अन्यायिक रूप से किसी कथित अपराधियों को दंडित करने के लिए या किसी समूह को धमकाने के लिए, सार्वजानिक हत्या या अन्य शारीरिक प्रताड़ना को चिह्नित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

 

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